What is Illumination | The Basic Principals

नमस्ते दोस्तो आज हम एक विषय पर गहराई से बात करेंगे जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से लेके बड़े बड़े उद्योगों तक में एक जरूरी पार्ट है। प्रकाश व्यवस्था (Illumination)। क्या अपने कभी सोचा है कि एक अच्छी लाइटिंग हमारे मूड, प्रोडक्टिविटी, और सुरक्षा को कैसे प्रभावित करती है। इस लेख में हम इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को विस्तार से समझेंगे। 

प्रकाश व्यवस्था क्या है? (What is Illumination) 

What is Illumination
What is Illumination 


प्रकाश व्यवस्था किसी भी सतह पर उचित और आरामदायक मात्रा में रोशनी पहुंचाने की कला और विज्ञान है। इसका मकसद सिर्फ अंधेरे को दूर करना नहीं बल्कि एक ऐसा वातावरण तैयार करना है जहां हमारी आंखों पर कोई जोर न पड़े और हम अपने काम आसानी से कर सके। चाहे वो आपका घर हो ऑफिस हो या कोई फैक्ट्री हर जगह पर सही लाइटिंग का होना बेहद जरूरी है। 


प्रकाश व्यवस्था के मूल सिद्धान्त (The Basic Principals): 


ल्यूमिनस फ्लक्स (Luminous Flux ): यह किसी प्रकाश स्रोत (जैसे बल्ब) से निकलने वाली प्रकाश की कुल मात्रा को दर्शाता है। इसकी इकाई ल्यूमेन(Unit) - ल्यूमेन (Lumen) है। जितना ज्यादा ल्यूमेन उतनी ज्यादा रोशनी। 

ल्यूमिनस इंटेंसिटी (Luminous intensity): यह बताता है कि प्रकाश स्रोत से किसी एक खास दिशा में कितनी तीव्र रोशनी जा रही है। 
इसकी इकाई (Unit) - कैंडेला है। 

इल्यूमिनेशन (Illumination): यह सबसे महत्वपूर्ण पैमाना है। यह मापता है कि आपके काम करने वाला मेज या जमीन जैसी सतह पर कितनी रोशनी पहुंच रही है। इसकी इकाई लक्स (Lux) है जो वास्तव में एक वर्ग मीटर पर पड़ने वाले एक ल्यूमेन के बराबर होती है। 

यूटिलाइजेशन फैक्टर (Utilization Factor): कोई भी लैंप अपनी सारी रोशनी सीधे काम की जगह तक नहीं पहुंच पाता। कुछ रोशनी दीवारों, छत आदि पर सोख ली जाती है यूटिलाइजेशन फैक्टर बताता है कि कुल निकली रोशनी का कितना हिस्सा हमारे काम आ रहा है। 

मेंटेनेंस फैक्टर (Maintenance Factor): समय के साथ लैंप पर धूल जम जाती है और उसकी चमक थोड़ी कम हो जाती है। डिजाइन करते समय इन बदलावों को ध्यान में रखने के लिए मेंटेनेंस फैक्टर का इस्तेमाल होता है। 

अच्छी प्रकाश व्यवस्था की पहचान:

एक उच्च गुणवत्ता वाली प्रकाश व्यवस्था में निम्न विशेषताएं होती है। 

  • चमक पर नियंत्रण रोशनी न तो बहुत कम (Dim) हो और न ही इतनी तेज कि आंखे चौंधिया जाए। 
  • समान वितरण हर जगह एक समान होना चाहिए जिससे गहरे परछाई न बने। 
  • रंगों की सटीकता यह रंगों को उनके वास्तविक रूप में दिखाए (Good Colour Rendering)। 
  • ऊर्जा दक्षता इसकी देखभाल और चलाने का खर्च Running Cost काम हो। 

प्रकाश के प्रमुख प्रकार: 


प्राकृतिक प्रकाश (Natural Lighting):  

इसमें सूरज की रोशनी का इस्तेमाल होता है। एक अच्छा आर्किटेक्ट खिड़कियों रोशनदारों (Skylight) आदि की डिजाइन इस तरह से तैयार करता है कि दिन के समय कृत्रिम लाइट्स की जरूरत न पड़े। यह ऊर्जा बचत का सबसे बेहतरीन और पर्यावरण अनुकूल तरीका है। 

कृत्रिम प्रकाश (Artificial Lighting):

यह वह प्रकाश है जो हम बिजली के बल्बों और ट्यूबो से पैदा करते है। इसके निम्न प्रकार है इसको विस्तार से समझेंगे। 

उष्मा दीप्त लैंप (Incandescent Lamp): 

ये पुराने बल्ब एक गर्म फिलामेंट से प्रकाश पैदा करते थे। इनकी दक्षता बहुत गर्म होती थी और ये ज्यादा गर्मी पैदा करते थे। आज इनका चलन लगभग खत्म हो चुका है। 

प्लोरोसेंट लैंप (Fluorescent Lamp): 

ये ट्यूबलाइट और CFls गैस डिस्चार्ज के सिद्धांत पर काम करते है। ये Incandescent लैंप के मुकाबले ज्यादा दक्षता होती है और इनकी जीवन अधिक भी अच्छी खासी होती है। 

एलईडी (LED - Light Emitting Diode):

यह आज का सबसे उन्नत और लोकप्रिय विकल्प है। LEDs बहुत कम बिजली की खपत करते है, और इनकी जीवन काल 50000 घंटे से भी ज्यादा है। इसे घर, ऑफिस, और स्ट्रीट लाइट हर जगह उपयोग किया जाता है। 

सोडियम वेपर लैंप (Sodium Vapour Lamp):

ये पीले नारंगी रंग की रोशनी देते है और ज्यादातर सड़कों की लाइटिंग के लिए इस्तेमाल होता है। इसकी दक्षता बहुत अच्छी होती है। 

Note:

 Illumination एक बल्ब जलने का नाम नहीं है। यह इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो सीधे तौर पर हमारे जीवन की गुणवत्ता, सुरक्षा और कार्य क्षमता को प्रभावित करता है। एक अच्छी डिजाइन न सिर्फ हमारी आंखों को आराम देती है, बल्कि ऊर्जा की बचत करके पर्यावरण की भी मदद करती है। 










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