अल्टरनेटर :-
अल्टरनेटर एक ऐसी मशीन है, जो AC Current को उत्पन्न करती है। अल्टरनेटर की संरचना DC Generator के समान हैं।अल्टरनेटर में AC Current को उत्पन्न करने के लिए Commutator की जगह पर स्लिप रिंग का उपयोग किया जाता हैं ।
इस आधुनिक युग में किफायती ट्रांसमिशन High Voltage पर किया जाता हैं High Voltage ट्रांसमिशन ट्रांसफार्मर की सहायता से सम्भव हैं जब की ट्रांसफार्मर AC Current पर ही कार्य करता है। अतः इसी कारण AC Current का ही उत्पादन किया जाता हैं।
महत्वपूर्ण सूचना :-
AC Current को High Voltage तक उत्पन्न किया जा सकता हैं। 66 KV या इससे अधिक जबकि DC में 650 Volt तक ही उत्पन्न कर सकते हैं।
AC Voltage को ट्रांसफार्मर की सहायता से Step Up व Step Down कर सकते हैं जब की DC Voltage में सम्भव नहीं हैं।
AC में ट्रांसमिशन लॉस कम होता हैं, जबकि DC में ट्रांसमिशन लॉस अधिक होता हैं।
अगर जरूरत हो तो AC को रेक्टिफायर, कन्वर्टर की सहायता से आसानी से DC में बदला जा सकता हैं।
अल्टरनेटर का कार्य सिद्धान्त ( Working Principle of Alternator) :-
अल्टरनेटर AC Current DC Current जेनरेटर की तरह विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता हैं। अल्टरनेटर में भी चुम्बकीय क्षेत्र व आर्मेचर कुण्डलन होता है। DC जेनरेटर व AC जेनरेटर में अन्तर इतना होता हैं की DC जेनरेटर में आर्मेचर घूमता हैं। जबकि चुम्बकीय क्षेत्र स्थिर होता हैं, पर AC में जेनरेटर में ठीक विपरीत होता हैं क्षेत्रीय कुण्डलन (Magnetic Field Winding) घूमने वाले भाग में व्यवस्थित किया जाता हैं। जिसको रोटर कहते हैं।
AC जेनरेटर ढलवे लोहे का बनाया जाता हैं l जो आर्मेचर क्रोड को सपोर्ट करता हैं, स्टेटर के अन्दर की परिधि में आर्मेचर चालक रखने के लिए Slots बनाया जाता हैं।
रोटर एक फ्लाई व्हील की तरह बनाया जाता हैं, जिसके बाहरी परिधि में N व S ध्रुव (Pole) होता हैं। चुम्बकीय ध्रुव (Magnetic Pole) को DC Current 125 Volt से 250 Volt तक कि सप्लाई दिया जाता हैं, जो एक छोटे DC जेनरेटर को अल्टरनेटर के Shaft के साथ कनेक्ट करके प्राप्त किया जाता हैं।
चूंकि अल्टरनेटर का चुम्बकीय फील्ड घूमता रहता हैं इस लिए Supply Current दो स्लिप रिंगो द्वारा चुम्बकीय फील्ड को दिया जाता हैं सप्लाई वोल्टेज लो होता हैं इसलिए स्लिप रिंगो को और ब्रुश गियर को संरचना में हल्के बनाया जाता हैं।
जब रोटर घुमता हैं तो स्टेटर के चालक (स्थिर होने से) चुम्बकीय फ्लक्स को कटता हैं जिससे स्टेटर में प्रेरित विद्युत वाहक बल (EMF) उत्पन्न होता हैं।
चुम्बकीय पोल N व S क्रम में होता है। जिसके आर्मेचर चालक में विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता हैं जो पहले एक दिशा में व फिर दूसरे दिशा में प्रवाहित होता हैं। इस प्रकार स्टेटर चालको में विद्युत वाहक बल (EMF) AC Current उत्पन्न होता हैं।
इस AC Current की विद्युत वाहक बल की आवृत्ति N व S ध्रुव (Pole) की संख्या तथा एक Second में रोटर चालको के घूमने पर निर्भर करती हैं।
अल्टरनेटर की संरचना (Construction of Alternator) :-
अल्टरनेटर में निम्न पार्ट होते हैं।
स्टेटर फ्रेम (Stator Frame) :-
स्टेटर फ्रेम अल्टरनेटर में आर्मेचर क्रोड को थामे रखता हैं, छोटे अल्टरनेटर का फ्रेम ढलवा लोहे का व बड़े अल्टरनेटर इस्पात की पत्तियां को बराबर वेल्डिंग करके बनाया जाता हैं।
स्टेटर क्रोड (Stator Core) :-
आर्मेचर क्रोड स्टेटर फ्रेम के अन्दर लगी होती हैं ये चुम्बकीय लोहे या मिश्र धातु की पत्तियों से बनाया जाता हैं। क्रोड को लैमिनेड करके बनाया जाता हैं जिससे भंवर धारा (eddy Current) हानियां को कम किया जा सक।
रोटर (Rotor) :-
अल्टरनेटर में दो प्रकार के रोटर प्रयोग किया जाता हैं।
- Salient Pole Type Rotor
- Smooth Cylindrical Type Rotor
Salient Pole Type Rotor :-
इस प्रकार के रोटर कम व मीडियम गति वाले अल्टरनेटर के लिए यूज किया जाता हैं। Salient Pole Type Rotor इस्पात की मोटी पतियों को जोड़ कर बनाया जाता हैं, इसकी गति 125 से 1000 R.P.M तक होती हैं।
Smooth Cylindrical Type Rotor :-
चिकने बेलनाकार प्रकार रोटर हाई गति वाले अल्टरनेटर में यूज किया जाता हैं चिकने बेलनाकार प्रकार रोटर इस्पात की मोटी पतियों को आपस में जोड़ कर बनाया जाता हैं। यह रोटर 2 व 4 पोल के बनाए जाते है। जिसमें 2 पोल की गति 1500 R.P.M जबकि 4 पोल की गति 3000 R.P.M होती हैं।
प्रत्यावर्ती धारा, A.C Current (Alternating Current):- AC Current को अल्टरनेटर द्वारा उत्पन्न किया जाता हैं इस Current का मान और दिशा दोनो ही समय के सापेक्ष Sinosoidal Wave के अनुसार बदलता रहता हैं।