थ्री फेस प्रेरण मोटर (Three Phase Indication Motor)

थ्री फेस प्रेरण मोटर (Three Phase Indication Motor):

 आधुनिक उद्योग जगत में विद्युत मोटर (Electric Motor) एक रीढ की हड्डी की तरह काम करती है। इनमें सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली मोटर प्रेरण मोटर (Indication Motor) है, जिसे असिंक्रोनस मोटर (Asynchronous Motor)  भी कहा जाता है। इसकी लोकप्रियता का मुख्य कारण इसकी मजबूत संरचना, कम रखरखाव की आवश्यकता और उच्च दक्षता है। यह मोटर बड़ी-बड़ी मशीनों से लेकर घरेलू उपकरणों तक में इस्तेमाल होती है। 

Three Phase Indication Motor
Three Phase Indication Motor


प्रेरण मोटर का कार्य सिद्धांत (Working Principle of Induction Motor):

प्रेरण मोटर का कार्य सिद्धांत विद्युत प्रेरण (Electromagnetic Indication) पर आधारित है ठीक उसी तरह जैसे एक ट्रांसफार्मर काम करता है। 
घूर्णन चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण जब मोटर के स्टेटर (Stator) वाइंडिंग को तीन फेस AC सप्लाई दी जाती है तो इसमें एक शक्तिशाली घूर्णन चुंबकीय क्षेत्र (Rotating Magnetic Field - RMF) बनता है। यह चुंबकीय क्षेत्र एक घड़ी की सुई की तरह लगातार घूमता रहता है। 
यह घूमता हुआ चुंबकीय क्षेत्र मोटर के घूमने वाले हिस्से यानी रोटर (Rotor) में कटता है। फैराडे के नियम के अनुसार इस फ्लक्स के कारण रोटर के कंडक्टरों में धारा (Current) प्रेरित होती है। 
घूर्णन की शुरुआत लेंज के नियम (Lenz's Law) के अनुसार रोटर में उत्पन्न हुई यह धारा एक चुंबकीय क्षेत्र बनाती है जो उस कारण का विरोध करता है जिससे वह पैदा हुई है। इस मामले में वह कारण स्टेटर का घूर्णन चुंबकीय क्षेत्र है। इस विरोध को कम करने के लिए रोटर भी स्टेटस के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में घूमना शुरू कर देता है, जिसे टॉर्क (Torque) उत्पन्न होता है। 
यह ध्यान रखना जरूरी है कि रोटर की गति हमेशा स्टेटस के घूर्णन चुंबकीय क्षेत्र की गति से थोड़ी कम होती है। इस अंतर को स्लिप (Slip) कहा जाता है। 

प्रेरण मोटर के मुख्य भाग (Main Parts of Induction Motor): 


प्रेरण मोटर मुख्य रूप से दो प्रमुख भागों से मिलकर बनती है। 


स्टेटर (Stator):


 यह मोटर का स्थिर भाग हैं। यह सिलिकॉन स्टील की पतली परतों (Lamination) से बना होता है और इसमें स्लॉट्स (Slots) होते है जिनमें तीन फेस वाइंडिंग रखी जाती है। इसका मुख्य कार्य घूर्णन चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करना है।

 
रोटर (Roter):


यह मोटर का घूमने वाला हिस्सा है। यह स्टेटस द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित होकर घूमता हैं। रोटर के दो मुख्य प्रकार होते है। 

पिंजरा रोटर (Squirrel cage Roter):


यह सबसे आम प्रकार का रोटर है। इसमें बिना इन्सुलेशन की एल्यूमीनियम या तांबा की छड़े होती है जो दोनों तरफ से रिंग (End rings) से जुड़ी होती हैं जिससे यह एक गिलहरी के पिंजरे जैसा दिखता है। यह मजबूत सस्ता और कम रखरखाव वाला होता हैं।

फेस वाउंड रोटर (Phase Wound Rotor):


इसे स्लिप रिंग रोटर (Slip Ring Rotor) भी कहते हैं। इसमें वाइंडिंग होती है जो स्लिप रिंग्स के माध्यम से बाहरी प्रतिरोध से जुड़ी होती है। इसका उपयोग वहां किया जाता है जहां मोटर को अधिक शुरुआती टॉर्क की आवश्यकता होती है। 
इसके अलावा और ये निम्न महत्वपूर्ण हिस्से होते है। 

एयर गैप (Air Gap): 


स्टेटर और रोटर के बीच की खाली जगह जो फ्लक्स को रोटर तक पहुँचने देती है। 


शाफ्ट (Shaft) और बियरिंग (Bearing): 


 शाफ्ट रोटर से जुड़ा होता है और बियरिंग के माध्यम से घूमता है। इसी शाफ्ट से यांत्रिक शक्ति आउटपुट मिलती है। 










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