जिन मोटरों की Power Rating 1 Horse Power (746 Watt) या इससे कम होती है, उन्हें फ्रेक्शनल किलोवॉट मोटर्स (Fractional Kilowatt Motors) कहा जाता है। इनका उपयोग उन छोटे मोटे कामों में होता है, जहां ज्यादा पावर की जरूरत नहीं होती। इनमें से ज्यादातर मोटर्स सिंगल फेस o
इंडक्शन मोटर्स (Single Phase Inducation Motors) होती हैं क्योंकि हमारे घरों में ज्यादातर सिंगल फेस बिजली ही आती है।
सिंगल फेस इंडक्शन मोटर में स्वत: चलने (Self Starting) की क्षमता नहीं होती है। इसलिए इसे स्टार्टिंग करने के लिए अलग-अलग तरीके (Starting Methods) इस्तेमाल किए जाते है। इन्हीं तरीकों के आधार पर मोटरों के अलग-अलग प्रकार बनते है।
सिंगल फेस इंडक्शन मोटर के प्रकार विशेषताएं और अनुप्रयोग:
स्प्लिट फेस इंडक्शन मोटर (Split Phase Indication Motor):
इस मोटर में दो वाइंडिंग होती है जिसमें मेन वाइंडिंग मोटा तार कम प्रतिरोध (Low Resistance) High Inductance।
Starting Winding पतला तार ज्यादा प्रतिरोध (High Resistance) Low Inductance।
एक सेंट्रीफ्यूगल स्विच भी लगा होता है।
कार्य सिद्धांत (Working Principle):
शुरुआत में दोनों वाइंडिंग में करंट प्रवाहित होता है। स्टार्टिंग वाइंडिंग में ज्यादा प्रतिरोध के कारण मेन वाइंडिंग और स्टार्टिंग वाइंडिंग के करंट के बीच एक फेस अंतर (Phase Difference) पैदा हो जाता है। यही अंतर एक घूमता हुआ चुंबकीय क्षेत्र (Rotating Magnetic Field) बनाता है और मोटर चालू हो जाती है।
जब मोटर अपनी 70-80% गति पर पहुंचती है तो सेंट्रीफ्यूगल स्विच स्टार्टिंग वाइंडिंग को अपने आप डिस्कनेक्ट कर देता है। उसके बाद मोटर सिर्फ मेन वाइंडिंग की मदद से चलती रहती है।
विशेषताएं:
- स्टार्टिंग टॉर्क सामान्य होता है।
- स्टार्टिंग करंट ज्यादा लगता है।
- दक्षता कम होता है।
उपयोग:
- फैन
- वाशिंग मशीन
- ड्रिल मशीन
- ग्राइंडर
कैपेसिटर स्टार्ट इंडक्शन मोटर (Capacitor Start Induction Motor):
यह स्प्लिट फेस मोटर जैसी ही होती है लेकिन इसमें स्टार्टिंग वाइंडिंग के साथ एक कैपेसिटर सीरीज में जोड़ा जाता है। और इसमें भी सेंट्रीफ्यूगल स्विच लगा होता है।
कार्य सिद्धांत (Working Principle):
कैपेसिटर की मदद से मेन और स्टार्टिंग वाइंडिंग के करंट के बीच बेहतर (लगभग 90°) का फेस Diffrent पैदा होता है।
इससे स्प्लिट फेस मोटर की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली घूमता हुआ चुंबकीय क्षेत्र बनता है।
विशेषताएं:
- शुरुआती टॉर्क बहुत ज्यादा होता है।
- शुरुआती करंट कम लगता है।
उपयोग:
- कंप्रेशर में
- कन्वेयर में
- वाटर पंप में
- हैवी ड्यूटी मशीनें
कैपेसिटर स्टार्ट कैपेसिटर रन मोटर (Capacitor Start Capacitor Run Motor):
इस मोटर में दो कैपेसिटर होते है।
- स्टार्टिंग कैपेसिटर High Value Electrolytic Type. यह सिर्फ मोटर शुरू होने के समय जुड़ा रहता है।
- रनिंग कैपेसिटर Low Value Oil Filled Type. यह हमेश जुड़ा रहता राहत है।
कार्य सिद्धांत (Working Principle):
शुरुवात में दोनों कैपेसिटर काम करते है। जिससे बहुत High Starting Torque मिलता है। जब मोटर स्टार्ट हो जाती है तो सेंट्रीफ्यूगल स्विच स्टार्टिंग कैपेसिटर को हटा देता है। लेकिन Running कैपेसिटर जुड़ा रहता है जिससे मोटर की दक्षता (Efficiency) और पावर फैक्टर अच्छा बना रहता है।
विशेषताएं:
- शुरुआती टार्क बहुत ज्यादा अधिक होता है।
- चलने की दक्षता (Efficiency) बहुत अच्छा होता है।
- पावर फैक्टर अच्छा होता है।
उपयोग:
- सीलिंग फैन
- एयर कंडीशनर
- ब्लोअर
शेडेड पोल मोटर (Shaded Pole Motor):
इसके स्टेटर पोल्स के एक कोने पर तांबे की एक मोटी रिंग (Copper Shading Ring) लगी होती है।
कार्य सिद्धांत (Working Principle):
जब AC सप्लाई दी जाती है तो Shaded Ring में एक प्रेरित धारा (induced Current) बहती है। यह धारा मुख्य चुंबकीय फ्लक्स में देरी (Delay) पैदा करती है, जिससे एक कमजोर घूमता हुआ चुंबकीय क्षेत्र बनता है और मोटर चालू हो जाती है।
विशेषताएं:
- शुरुआती टार्क बहुत कम होता है।
- दक्षता बहुत कम होती है।
- निर्माण बहुत सरल और सस्ता है।
- मरमत योग नहीं है खराब होने पर बदलनी पड़ती है।
उपयोग:
- छोटे पंखे
- हेयर ड्रायर
- खिलौने
Note:
फ्रेक्शनल किलोवॉट मोटर्स डेली उपयोग होने वाले मशीनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सिंगल फेस सप्लाई में शुरुआती टार्क पैदा करने के लिए अलग-अलग तरीके का उपयोग किया जाता है। जहां ज्यादा पावर और टॉर्क चाहिए वहां कैपेसिटर मोटर उपयोग होता है वही जहां सिर्फ मोटर चालानी है तो लागत कम रखनी है वहां शेडेड पोल मोटर एक अच्छा विकल्प है।
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